घर में कछुआ रखने के क्या हैं लाभ!
वास्तु तथा चाईनीज वास्तु अर्थात फेंगशुई शास्त्र के सिद्धांतों को अपनाकर व्यक्ति जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां पा सकता है तथा छोटे-छोटे उपाय अपनाकर अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है तथा सर्वदा के लिए धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी जी को भी अपने घर में स्थायित्व दिया जा सकता है। अगर आपके निवास स्थल पर किसी प्रकार की कोई समस्या, दोष यां स्वास्थ्य विकार अथवा घर में बरकत न हो रही हो तो आप कुछ वास्तु और फेंगशुई शास्त्र के अचूक उपाय अपनाकर अपने जीवन की समस्याओं को समाप्त कर सकते हैं तथा अपने जीवन को समृद्ध और खुशनुमा बना सकते हैं। आज के इस विशेष लेख में हम आपको वास्तु तथा फेंगशुई शास्त्र की अमूल्य धरोहर कछुए के बारे में बताने जा रहे हैं।
कछुए का वास्तु व फ़ेंगशुई महत्व: कछुआ शांत और मंदगति से चलने वाला दीर्घजीवी प्राणी है। कछुए को सनातन धर्म के अनुसार शुभता का प्रतीक माना जाता है। चाईनीज वास्तु अर्थात फेंगशुई में कछुए को शुभता का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कछुए के प्रतीक को घर में रखने से आर्थिक उन्नति होती है तथा घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है जिससे घर में रहने वाले सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है। वास्तु तथा फेंगशुई में धातु यां स्फटिक निर्मित फेंगशुई कछुआ घर में रखते हैं। कछुआ एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है और खुशहाली आती है।
कछुए का धार्मिक महत्व: सनातन धर्म में कछुए को कूर्म अवतार अर्थात कच्छप अवतार कहकर संबोधित किया जाता हैं। धर्मानुसार भगवान विष्णु के दशावतार में से 'कूर्म' अर्थात कछुआ भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है। पद्म पुराण के अनुसार कच्छप के अवतरण में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्र मंथन के समय मंदरमंद्रांचल पर्वत को अपने कवच पर थामा था। शास्त्रों में कच्छप अवतार की पीठ का घेरा एक लाख योजन का वर्णित किया गया है। इस प्रकार वासुकीनाथ श्री भगवान विष्णु के कच्छप अवतार ने मंदरमंद्रांचल पर्वत तथा श्री वासुकि अर्थात शेषनाग की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की इसलिए उसकी पूजा-अर्चना भी की जाती है और इसे शुभ माना जाता है।
कछुए को रखने के सिद्धांत: कछुआ का प्रतीक एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है तथा जीवन में खुशहाली आती है। वास्तु तथा फेंगशुई में इसको स्थापित करने के कुछ सिद्धांत बताए गए हैं जिसे अपनाकर हम वास्तु की इस अमूल्य धरोहर से लाभान्वित हो सकते हैं। कछुए को घर में रखने से कामयाबी के साथ-साथ धन-दौलत का भी समावेश होता है। इसे अपने ऑफिस या घर की उत्तर दिशा में रखें। कछुए के प्रतीक को कभी भी बेडरूम में ना रखें। कछुआ की स्थापना हेतु सर्वोत्तम स्थान ड्राईंग रूम है।
दो कछुओं के प्रतीक एक साथ घर में ना रखें क्योंकि कछुए के प्रतीक एक साथ होने पर लाभ क्षेत्र बाधित होता है। कछुए की स्थापना हेतु उत्तर दिशा सर्वोत्तम है क्योंकि शास्त्रों में उत्तर दिशा को धन की दिशा माना गया है। पूर्व दिशा की ओर भी कछुए के प्रतीक को स्थापित किया जा सकता है। कछुए का मुंह घर के अंदर की ओर रहे। कछुए को सूखे स्थान पर रखने की बजाय किसी बर्तन में पानी भर कर रखें। सात धातु से बना कछुआ वास्तु दोष दूर करता है और इसकी पूजा की जाती है, यह घर में सद्भाव और शांति देता है। इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। कछुआ की पीठ पर सात धातु से बना सर्व सिद्धि यंत्र साहस और समृद्धि देता है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
वास्तु तथा चाईनीज वास्तु अर्थात फेंगशुई शास्त्र के सिद्धांतों को अपनाकर व्यक्ति जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां पा सकता है तथा छोटे-छोटे उपाय अपनाकर अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है तथा सर्वदा के लिए धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी जी को भी अपने घर में स्थायित्व दिया जा सकता है। अगर आपके निवास स्थल पर किसी प्रकार की कोई समस्या, दोष यां स्वास्थ्य विकार अथवा घर में बरकत न हो रही हो तो आप कुछ वास्तु और फेंगशुई शास्त्र के अचूक उपाय अपनाकर अपने जीवन की समस्याओं को समाप्त कर सकते हैं तथा अपने जीवन को समृद्ध और खुशनुमा बना सकते हैं। आज के इस विशेष लेख में हम आपको वास्तु तथा फेंगशुई शास्त्र की अमूल्य धरोहर कछुए के बारे में बताने जा रहे हैं।
कछुए का वास्तु व फ़ेंगशुई महत्व: कछुआ शांत और मंदगति से चलने वाला दीर्घजीवी प्राणी है। कछुए को सनातन धर्म के अनुसार शुभता का प्रतीक माना जाता है। चाईनीज वास्तु अर्थात फेंगशुई में कछुए को शुभता का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कछुए के प्रतीक को घर में रखने से आर्थिक उन्नति होती है तथा घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है जिससे घर में रहने वाले सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है। वास्तु तथा फेंगशुई में धातु यां स्फटिक निर्मित फेंगशुई कछुआ घर में रखते हैं। कछुआ एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है और खुशहाली आती है।
कछुए का धार्मिक महत्व: सनातन धर्म में कछुए को कूर्म अवतार अर्थात कच्छप अवतार कहकर संबोधित किया जाता हैं। धर्मानुसार भगवान विष्णु के दशावतार में से 'कूर्म' अर्थात कछुआ भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है। पद्म पुराण के अनुसार कच्छप के अवतरण में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्र मंथन के समय मंदरमंद्रांचल पर्वत को अपने कवच पर थामा था। शास्त्रों में कच्छप अवतार की पीठ का घेरा एक लाख योजन का वर्णित किया गया है। इस प्रकार वासुकीनाथ श्री भगवान विष्णु के कच्छप अवतार ने मंदरमंद्रांचल पर्वत तथा श्री वासुकि अर्थात शेषनाग की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की इसलिए उसकी पूजा-अर्चना भी की जाती है और इसे शुभ माना जाता है।
कछुए को रखने के सिद्धांत: कछुआ का प्रतीक एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है तथा जीवन में खुशहाली आती है। वास्तु तथा फेंगशुई में इसको स्थापित करने के कुछ सिद्धांत बताए गए हैं जिसे अपनाकर हम वास्तु की इस अमूल्य धरोहर से लाभान्वित हो सकते हैं। कछुए को घर में रखने से कामयाबी के साथ-साथ धन-दौलत का भी समावेश होता है। इसे अपने ऑफिस या घर की उत्तर दिशा में रखें। कछुए के प्रतीक को कभी भी बेडरूम में ना रखें। कछुआ की स्थापना हेतु सर्वोत्तम स्थान ड्राईंग रूम है।
दो कछुओं के प्रतीक एक साथ घर में ना रखें क्योंकि कछुए के प्रतीक एक साथ होने पर लाभ क्षेत्र बाधित होता है। कछुए की स्थापना हेतु उत्तर दिशा सर्वोत्तम है क्योंकि शास्त्रों में उत्तर दिशा को धन की दिशा माना गया है। पूर्व दिशा की ओर भी कछुए के प्रतीक को स्थापित किया जा सकता है। कछुए का मुंह घर के अंदर की ओर रहे। कछुए को सूखे स्थान पर रखने की बजाय किसी बर्तन में पानी भर कर रखें। सात धातु से बना कछुआ वास्तु दोष दूर करता है और इसकी पूजा की जाती है, यह घर में सद्भाव और शांति देता है। इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। कछुआ की पीठ पर सात धातु से बना सर्व सिद्धि यंत्र साहस और समृद्धि देता है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
घर की किस दिशा में रखें कौन सी धातु का बना कछुआ
दूसरा अवतार
कहा जाता है कि कूर्म के अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदार पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एवं असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की। इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था।
विभिन्न धातु से बने कछुए
उपरोक्त पौराणिक कथा हमें युगों से कछुए का महत्व समझाती है। आज भी कछुए की अहमियत वैसी ही बनी हुई है। ना केवल चीन में, बल्कि अब तो अनगिनत भारतीय घरों में कछुए ने खास स्थान प्राप्त किया है। आपको आजकल कई घरों में विभिन्न धातु से बने कछुए दिखाई देंगे।
सजावट के लिए भी रखते हैं लोग
लोग इन्हें अपने घर में रखते हैं, कुछ तो सजावट के तौर पर इसे रखते हैं लेकिन इसका महत्व केवल घर सजाने जितना नहीं है। कछुआ किस धातु का बना है, किस आकार का है, किस रंग का है, इसका अलग-अलग अर्थ है।
विभिन्न फल देता है
वास्तु शास्त्र और फेंग शुई के अनुसार अलग-अलग धातु से बने कछुए, विभिन्न परिणाम देते हैं। इन्हें किस जगह पर किस दिशा में रखा गया है, इसका भी खास फर्क पड़ता है।
इच्छापूर्ति के लिए घर में रखें कछुआ
इसलिए यहां हम आपको वास्तु शास्त्र और फेंग शुई की राय में कछुए का सही इस्तेमाल, इसे रखने की सर्वश्रेष्ठ दिशा, स्थान और किस इच्छापूर्ति के लिए घर में किस धातु का बना कछुआ लाएं, यह भी बताएंगे।
संतान प्राप्ति के लिए
मूलत: कछुए को घर में ‘गुड लक’ के लिए रखा जाता है। लेकिन एक खास प्रकार की मादा कछुआ, जिसकी पीठ पर बच्चे कछुए भी हों, यह प्रजनन का प्रतीक होता है। जिस घर में संतान ना हो या जो दंपत्ति संतान सुख से वंचित हो, उन्हें इस प्रकार का कछुआ अपने घर में रखना चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए
इसके अलावा कछुआ धन प्राप्ति का भी सूचक माना गया है। यदि किसी को धन संबंधी परेशानी हो, तो उसे क्रिस्टल वाला कछुआ लाना चाहिए। इसे वह अपने कार्यस्थल या ऑफिस में भी रख सकते हैं।
मेटल का कछुआ
चलिए आपको बताते हैं कि किस धातु का कछुआ कहां रखना चाहिए, ताकि वह आपके लिए लाए ढेर सारा गुड लक। यदि आप अपने घर में मेटल धातु से बना कछुआ रखना चाहते हैं, तो इसे घर की उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें।
मिट्टी का कछुआ
मिट्टी या अन्य प्राकृतिक वस्तु से बना कछुआ हमेशा घर के उत्तर-पूर्व, मध्य या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। यदि आप क्रिस्टल कछुआ लाए हैं तो इसे घर की या ऑफिस की दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें।
दिशा का ध्यान रखें
घर में कछुआ किस दिशा में हो इस बात का ध्यान रखने के साथ-साथ, उसका मुख किस दिशा में हो यह भी जान लीजिए। अन्यथा आपको सही परिणाम हासिल नहीं होंगे। फेंग शुई के अनुसार कछुए का मुख हमेशा घर की पूर्व दिशा में होना चाहिए, यह दिशा शुभ मानी गई है।
वास्तु शास्त्र और फेंग शुई
वास्तु शास्त्र और फेंग शुई, इन दोनों को आप भाई-भाई कह सकते हैं। क्योंकि भले ही एक भारत का प्राचीनतम शास्त्र हो और दूसरा भारत के पड़ोसी देश का विज्ञान हो, लेकिन दोनों का ही मूल मुद्दा एक है - आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर, आपको सकारात्मक वातावरण देना।
एक ही लक्ष्य
वास्तु शास्त्र और फेंग शुई दोनों का ही लक्ष्य मनुष्य के जीवन में सुधार लाना है, अपने विभिन्न प्रयोगों से उसे एक खुशहाल जीवन प्रदान करना है। ये दोनों ही विधाएं हमारे घर या ऑफिस की दिशाओं का सही उपयोग करना बताती हैं। किस दिशा में क्या हो, क्या रखा जाए और क्या बिलकुल भी नहीं होना चाहिए, यह बताया जाता है।
दिशाएं हो सही
वास्तु शास्त्र और फेंग शुई द्वारा दिशाओं के सही उपयोग को समझाने के साथ कुछ ऐसी चीजें भी प्रदान की गई हैं, जिन्हें घर या ऑफिस में रखने से सकारात्मक ऊर्जा की उत्पत्ति होती है। ऐसे कई सारे प्रोडक्ट हैं जो विभिन्न कारणों से इस्तेमाल किए जाते हैं।
कछुआ
इन्हीं में से एक है कछुआ। यूं तो वास्तु शास्त्र और फेंग शुई में अलग-अलग प्रोडक्ट हैं, लेकिन कछुआ एक ऐसा प्रोडक्ट है जो दोनों में ही इस्तेमाल होता है। भले ही वह वास्तु शास्त्र हो या फेंग शुई, कछुए का प्रयोग दोनों जगह होता है।
गुड लक के लिए
यह बात बहुत कम लोग जानते हैं, हर किसी को यह लगता है कि कछुआ केवल फेंग शुई के अनुसार शुभ है। लेकिन आपको बता दें कि वास्तु विज्ञान में भी कछुए को एक खास स्थान प्राप्त है, इसके उपयोग से कई बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है।
लम्बे समय तक साथ दे
कछुआ जो कहने को तो एक धीमी चाल का जानवर है, लेकिन यह वास्तु शास्त्र और फेंग शुई के अनुसार बड़े काम की चीज़ है। क्या आप जानते हैं कि कछुआ किसी भी अन्य जानवर की तुलना में सबसे अधिक उम्र तक जीता है। यदि किसी कछुए की साधारण उम्र भी बताई जाए, तो वह 200 वर्ष से कम नहीं होती।
लम्बी आयु होती है इसकी
जी हां.... 200 से भी अधिक वर्षों तक जीता है एक कछुआ। इसलिए वास्तु शास्त्र और फेंग शुई की दृष्टि में यह लंबे समय तक सुख-शांति देने का प्रतीक माना गया है।
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